अपनी राह पर अकेला हो गया पथिक
बेछाव हो गया है पथिक
राह दिखाने वाले कहीं चले गये
चलना सिखाया जिन्होने कहीं चले गये
अपनी नींदो को उड़ा कर हमें नींद दिया जिन्होंने
अपनी आंसुओं को भुला कर हमें हंसाया जिन्होंने
अपनी यादो को छोड़ गये वो
अपने उन शब्दो को छोड़ गये वो
अपना आशिष छोड़ गये वो
दो पल मे बड़ा बना गये वो
पथिक को छोड़ गये वो
अपना आशिष छोड़ गये वो